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परम्पराओं की बेड़ियाँ...

  • Writer: Niranjan Chaware
    Niranjan Chaware
  • Jan 28, 2019
  • 1 min read

इस दुनिया में हजार रंग हैं,

बस तू ही एक सपना हैं ,

पर क्या करे इसी दुनिया ने तो हमें आपस में ही बांटा है |


चाहूँगा इस कदर तुझे की, ये दुनिया हैरान रह जाएगी,

न रहू इस दुनिया में तब, ये दुनिया खुद पे लज्जाएगी |


मेरी रूह हमेशा तड़पती है, दुनिया के इस कैद में ,

न जाने कब निकलू इस कैद से, और जिउं मैं बेखौप में |


इस दुनिया में हजार रंग हैं,

बस तू ही एक सपना हैं ,

पर क्या करे इसी दुनिया ने तो, हमें आपस में ही बांटा है |

-निरंजन

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